आज दुनियाभर में नए साल का जश्न मनाया जा रहा है
महानगर संवाददाता
साल 2023 की विदाई और नए साल यानी 2024 का आगमन हो चुका है. भारत सहित दुनियाभर में नए साल का जश्न मनाया जा रहा है, दशकों से नया साल 31 दिसंबर खत्म होते ही और 1 जनवरी लगते ही रात 12 बजे से शुरू हो जाता है. लेकिन शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि हमेशा से ऐसा नहीं रहा है. कुछ दशकों पहले न ही नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती थी और न ही कैलेंडर में 12 महीने होते थे. बल्कि कैलेंडर सिर्फ 10 महीने का हुआ करता था.
आतिशबाज़ी के नज़ारे
नये साल के स्वागत में पटाखे फोड़ना शायद सबसे आम तरीका है. 31 दिसंबर और 1 जनवरी की मध्यरात्रि में कई देशों में इस तरह जश्न मनाया जाता है. इस बार संभव है कि कोरोना के कारण भीड़ न जुटने के निर्देश कई जगह हों, फिर भी पटाखों पर बैन लगने संबंधी खबरें नहीं हैं. नये साल के स्वागत में आतिशबाज़ी के नज़ारों के लिए न्यूज़ीलैंड का ऑकलैंड स्काय टावर काफी मशहूर है. इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया में सिडनी हार्बर पर भी आतिशबाज़ी दर्शनीय होती है. इनके अलावा, कनाडा के टोरंटो, ब्राज़ील के रियो में भी आसमान रंग बिरंगे पटाखों से नहाता है.
1. नया साल को ग्रिगोरियन कैलेंडर के मुताबिक मनाया जाता है। यदि हम इस कैलेंडर की बात करें, तो इस ग्रिगोरियन कैलेंडर को ईसाई धर्म के द्वारा निर्माण किया गया था जिसे दुनिया भर में सेलिब्रेट किया जाता है। नए साल मानने से पहले हम लोग 25 दिसंबर को मैरी क्रिसमस डे सेलिब्रेट करते हैं।
2. हर वर्ष की पहली जनवरी से नए वर्ष का आरंभ होता है। लेकिन कई सालों पहले ऐसा नहीं है कहने का तात्पर्य यह है कि पहले हर अलग अलग देशों में अलग अलग महीने में नए साल को सेलिब्रेट किया जाता था। जैसे कि पहले कई देशों में 25 दिसंबर को न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाता था, तो कई देशों में 25 मार्च को नया साल मनाया जाता था।
3. हिंदु पंचांग के मुताबिक देखा जाए तो हिंदुओँ का नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से ही शुरुआत होती है। परंतु, बाद में नए साल को एक जनवरी को सेलिब्रेट किया जाने लगा। नए साल पर जश्न करने की शुरुआत रोम से हुआ था। जानकारी के मुताबिक, राजा नूमा पोंपिलस के माध्यम से रोमन कैलेंडर में चेंजेज किया गया था। तब से लेकर आज तक नया साल एक जनवरी को ही मनाया जाता है। जैसे रोम के भगवान के नाम से जनवरी नाम पड़ा था वैसे ही मार्स के नाम से मार्च नाम पड़ा। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मार्स किसका नाम है, तो आपको बता दूं कि मार्स युद्ध के भगवान का नाम मार्स था। बाद में जनवरी के बाद मार्स को ही मार्च के नाम से लोग जानने लगें।
4. यदि हम काली मटर की बात करें, तो अमेरिका में रहने वाले लोगों का यह मानना है कि नए साल के दिन काले मटर का सेवन करने से उनकी लाइफ में केवल ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ आँएंगी कहने का तात्पर्य यह है कि काला मटर आने वाले वर्ष के लिए खूब सारा खुशी लेकर आती है इसलिए अमेरिका में हर व्यक्ति नए साल के लिए काले मटर का सेवन करते हैं।
5 . डेनमार्क में Happy New year मनाने का तरीका एकदम अलग है। जी हां यहां पर नए साल के दिन लोग अपने घर के बर्तन को दूसरे के घर पर मारते हैं। आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन यह सत्य है। यहां के लोगों का मानना है कि नए साल के दिन वे जिस भी घर पर अपने घर के बर्तन को मारते हैं उस घर से उनकी दोस्ती होती है। दोस्ती करने का यह अंदाज़ काफी चौंका देने वाला है।
6 .Mexico के लोग थोड़ा अलग तरह से न्यू ईयर सेलिब्रेट करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि यहां के लोग 31 दिसंबर को रात्रि के 12 बजे न्यू ईयर की स्वागत अंगूर खाकर करते हैं। जी हां Mexico के लोग 12 बजे हर एक अंगूर खाने के साथ ही साथ विश भी मांगते हैं। यहां का मानना है कि जो भी व्यक्ति 31 दिसंबर को रात्रि के ठीक 12 बने अंगूर खाकर कुछ भी विश मांगेगा वो विश अवश्य पूरी होती है।
7 . जापान में एक अनौखे रूप में नए साल का स्वागत किया जाता है। यहां पर नया साल आने की खुशी में 108 बार बुद्ध मंदिरों में लटकी घंटियों को बजा कर किया जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि ऐसा करके वे लोग God of New Year को आमंत्रित करते हैं।
8 . न्यूयॉर्क शहर के टाइम्स स्क्वायर ने न्यू ईयर सिटी में न्यू ईयर बॉल की परंपरा शुरू की, जिसे दुनिया भर के लाखों करोड़ो लोगों द्वारा देखा और पसंद किया जाता है। बॉल एक मिनट के लिए ठीक 11:59 PM पर गिरना शुरू होती है और नए साल का संकेत देते हुए 12 बजे तेजी से जमीन से गिर जाती है।
12 नहीं पहले इतने महीने और दिन होते थे साल में
1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर के तहत सन 1582 में हुई थी। इससे पहले पूरी दुनिया में जूलियन कैलेंडर फॉलो किया जाता था, जिसमें सिर्फ 10 महीने होते थे। एक साल में 310 दिन होते थे वहीं एक सप्ताह 8 दिन का होता था। अमेरिका के एक फिजिशियन एलॉयसिस लिलिअस ने दुनिया को एक नया कैलेंडर दिया।जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा गया। इस कैलेंडर में 1 जनवरी को साल का पहला दिन माना गया, तब से 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज भी बदस्तूर जारी है।
पहले इस महीने में मनाया जाता था नया साल
पहले नया साल 25 मार्च या फिर 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन बनाया जाता था, लेकिन रोम के पहले राजा नूमा पोंपलिस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किया और 2 महीने जोड़े गए। इसके बाद साल में 12 महीने होने लगे। एक साल में 365 दिन और एक सप्ताह में 7 दिन होने लगे।इसके बाद जनवरी को साल का पहला महीना माना जाने लगा।
कहां से आई ये परंपरा
नया साल 1 जनवरी को मनाने की परंपरा ईसाई धर्म के तहत आई।जबकि भारत में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग अपने धर्म के मुताबिक नया साल मनाते हैं। हिंदू धर्म की बात करें तो हिंदुओं में चैत्र मास में नए साल की शुरुआत होती है वहीं मुस्लिम धर्म में इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम के महीने को साल का पहला महीना माना जाता है।मराठी लोग गुड़ी पड़वा के समय नव वर्ष मनाते हैं व पारसी धर्म में नया साल नवरोज उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
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