जयपुर आज 296 वीं वर्षगांठ मना रहा है
महानगर सवांददाता
भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर संस्कृति, विरासत, भव्यता और राजशाही का आदर्श मिश्रण है, जो हर पर्यटक को एक नई तस्वीर प्रस्तुत करता है. पिंक सिटी के नाम से मशहूर, तीन ओर से अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा जयपुर आज 296 वीं वर्षगांठ मना रहा है. अपने भीतर हेरिटेज, वास्तु कला, परंपरा और ऐतिहासिक विरासत को संजोने वाला यह महानगर कला नगरी और सांस्कृतिक राजधानी आदि के नाम से भी जाना जाता है. यहां की धरोहरों आमेर का किला, नाहरगढ़ का किला, हवा महल, शीश महल, गणेश पोल और जल महल की अपनी कहानी और अपनी पहचान है
ये है जयपुर का इतिहास
जयपुर की स्थापना 18 नवंबर 1727 को कछवाहा वंश के महाराज सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी. वह अपनी इस राजधानी का विस्तार समतल मैदानी भाग में करना चाहते थे. इस खूबसूरत शहर की स्थापना में बंगाल के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की अहम भूमिका थी. यह देश का पहला शहर था, जिसका निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया था. बताया जाता है कि उनके सुझाव पर विद्याधर ने जयपुर के निर्माण में 9 अंक का विशेष ध्यान रखा. उनके अनुसार 9 का अंक नवग्रहों का प्रतीक माना जाता है. इस शहर की मूल पहचान यहां के वे तमाम अनमोल धरोहर हैं, जिनके निर्माण में गुलाबी ढोलपुरी पत्थरों का विशेष रूप से प्रयोग किया गया है. उनके जयपुर की स्थापना नाम पर बने शहर का नाम सवाई जैपुर रखा गया. धीरे-धरे इसका नाम बोलचाल में आसानी के लिए जयपुर हो गया.
जयपुर दुनिया का पहला सुनियोजित शहर हैं
हमारी विरासत का जीवंत उदाहरण और विश्व का पहला सुनियोजित एवं वास्तु अनुरूप बसाया गया शहर है जयपुर. बताया जाता है कि इस शहर को बसाने से पूर्व आर्किटेक्चर विद्याधर चक्रवर्ती ने नक्शा तैयार किया शहर को बसाने की रूपरेखा तैयार किया. सूत्रों की मानें तो सवाई जयसिंह द्वितीय खगोलशास्त्री भी थे. आज अगर जयपुर को ज्योतिष और संस्कृति की नगरी कहा जाता है तो इसके पीछे जयसिंह की अहम भूमिका रही है.
समय के साथ बदल रही हैं पिंक सिटी
धरोहरों का शहर जयपुर पिंक सिटी के नाम से भी मशहूर है. राजा मानसिंह और सवाई जयसिंह की कल्पना को और स्वर्णिम बनाया राम सिंह ने. जी हां साल 1875 में सवाई रामसिंह ने संपूर्ण जयपुर को गुलाबी रंग में रंगने का आदेश दिया. उसी समय से यह पिंक सिटी के नाम से जाना जाने लगा. साल 1942 में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने तत्कालीन प्रधान मंत्री सर मिर्जा इस्माइल ने जयपुर को और बेहतर बनाने की इच्छा शक्ति से इसे आधुनिक रूप दिया.
जैपुर से जयपुर बना गुलाबी नगर
— 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी जयपुर की स्थापना
— 1875 में सवाई रामसिंह ने शहर का गुलाबी रंग करवाया
— 1931 में जयपुर में रामगढ़ बांध से पानी आया
— 1927 में जयपुर में बिजली आपूर्ति शुरू हुई
— 1942 में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय और तत्कालीन प्राइमिनिस्टर सर मिर्जा इस्माइल ने दिया जयपुर को आधुनिक रूप
— 1942 में बाजारों के टीनशेड हटाकर बरामदें बनवाए और बाजारों को दी एकरूपता
— आजादी के साथ ही शहर का होता गया विस्तार, परकोटे के बाहर भी हुआ विकास
— 5 फरवरी 2020 को जयपुर विश्व धरोहर शहर बना
— 23 सितंबर 2020 को जयपुर को मिली भूमिगत मेट्रो की सौगात
— नवम्बर 2020 में शहर को मिले दो महापौर
— हैरिटेज नगर निगम और जयपुर ग्रेटर नगर निगम को मिली महापौर
— नवंबर 2020 में ही शहर को मिले 250 वार्ड पार्षद
विकास की राह पर दौड़ता जयपुर
— 5 फरवरी 2020 को जयपुर विश्व धरोहर शहर बना। यूनेस्को महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने वल्र्ड हेरिटेज सिटी का प्रमाण पत्र दिया।
— 3 जून 2015 को जयपुर को मेट्रो ट्रेन की सौगात मिली। चांदपोल से मानसरोवर तक हवा में मेट्रो दौड़ी
— 23 सितंबर 2020 को जयपुर को भूमिगत मेट्रो की सौगात भी मिल गई। चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक भूमिगत मेट्रो दौड़ने लगी। आज जयपुर में बड़ी चौपड से मानसरोवर तक मेट्रो 178 चक्कर लगा रही है।
— जयपुर में हेरिटेज नगर निगम और जयपुर ग्रेटर नगर निगम बने। 10 नवंबर 2020 को शहर को दो महापौर मिली। शहर 250 वार्डों में बंट गया।
— यूरोपीयन शहरों के तर्ज पर राजधानी के बाहरी क्षेत्रों में साल 2021 में जयपुर चौपाटियां शुरू की गई। राजस्थान आवासन मंडल ने प्रतापनगर और मानसरोवर में दो चौपाटियां बनाई, जहां लोग देर रात तक परिवार सहित भोजन करने पहुंच रहे है।
— 21 अक्टूबर, 2022 को जयपुर को दूसरे सबसे बड़े पार्क के रूम में मानसरोवर में सिटी पार्क की सौगात मिली। मानसरोवर में करीब 52 एकड़ जमीन पर बन रहे इस सिटी पार्क के प्रथम फेज का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। यहां 65 मीटर ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया गया।
राजस्थान न्यूज़