महानगर संवाददाता
लोकतंत्र में मतदान का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह एक व्यक्ति की जिम्मेदारी और सामाजिक सहभागिता का प्रतीक होता है। निम्नलिखित कुछ कारणों से मतदान का महत्व विशेष रूप से प्रमुख होता है:
सरकार के चयन में सहायक: मतदान से लोकतंत्र में सरकार के चयन में लोगों का योगदान होता है। जनमत के माध्यम से जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को निर्धारित करती है।
प्रतिनिधित्व का माध्यम: मतदान से लोग अपने स्थानीय, राज्यीय और केंद्रीय सरकारी प्रतिनिधियों का चयन करते हैं, जिससे सरकार उनकी आवाज को सुनने और उनके हितों की रक्षा करने में सक्षम होती है।
सामाजिक समावेश: मतदान एक सामाजिक समावेश का माध्यम होता है, जो सभी वर्गों, जातियों, धर्मों और लिंगों के लोगों को एक समान तरीके से शामिल करता है।
अधिकारों की सुरक्षा: मतदान अधिकार की सुरक्षा का माध्यम होता है, जिससे समाज के हर व्यक्ति को अपने अधिकारों का उपयोग करने का मौका मिलता है।
विकास के लिए मार्गदर्शन: मतदान के माध्यम से लोग उन नेताओं को चुनते हैं जिनकी नीतियाँ और कार्यक्रम विकास की दिशा में संदेश देती हैं और समाज के लिए उपयोगी होती हैं।
सार्वजनिक उद्देश्य की प्राथमिकता: मतदान के माध्यम से जनता अपने सार्वजनिक उद्देश्यों की प्राथमिकता को निर्धारित करती है, जिससे समाज की सार्वजनिक हित में निर्णय लिया जा सकता है।
इन सभी कारणों से, मतदान लोकतंत्र की मूल आधारशिला है और समाज की सकारात्मक प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
लोकतंत्र में महिलाओं की भूमिका, संक्षिप्त इतिहास
लोकतंत्र के चुनाव में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। यहाँ, महिलाओं के चुनाव में भूमिका के संक्षिप्त इतिहास के साथ उल्लेख किया गया है:
स्त्री अधिकारों की आरंभिक स्वीकृति: लोकतंत्र के आरंभिक दिनों में, महिलाओं को चुनाव में भाग लेने के लिए अधिकार नहीं थे।
समाजिक सुधार आंदोलन: 19वीं और 20वीं सदी में, महिलाओं के लिए समाजिक सुधार आंदोलनों ने उनके चुनाव में सम्मिलित होने के अधिकार का मार्ग प्रशस्त किया।
उदाहरण सेतु: 1921 में, न्यूजीलैंड ने दुनिया के पहले देश के रूप में महिलाओं को भी चुनाव में भाग लेने का अधिकार प्रदान किया।
समाज में बदलाव: समाज में उत्थान के साथ, महिलाओं को राजनीतिक अधिकारों की मांग में बढ़ोतरी हुई।
संविधान और समानता: भारतीय संविधान ने महिलाओं को समानता का अधिकार प्रदान किया, जिससे उन्हें चुनावों में सम्मिलित किया गया।
सकारात्मक परिणाम: महिलाओं की भागीदारी चुनावों में समाज के लिए सकारात्मक परिणाम लाती है, जैसे कि महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है और राजनीतिक प्रक्रियाओं का व्यापारिक और सामाजिक धारावाहिक में अधिक विस्तार होता है।
महिलाओं की विशेष चिंताओं का प्रतिनिधित्व: महिला नेताओं के माध्यम से, वे अपनी समस्याओं और आवश्यकताओं को सार्वजनिक प्लेटफ़ॉर्म पर उठा सकती हैं।
सामाजिक परिवर्तन का अधिकार: महिलाओं की भागीदारी चुनावों में समाज को सकारात्मक परिवर्तन करने का अधिकार प्रदान करती है, जिससे समाज में समानता और समाजिक न्याय की बढ़ती है।
महिलाओं की भूमिका लोकतंत्र के विकास और संरक्षण में महत्वपूर्ण है, जिससे समाज में समानता और न्याय की बढ़ती है। इससे लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं का विश्वसनीयता और समावेशीता में भी सुधार होता है।
लोकतंत्र चुनाव में पिछले दो दशकों में भारत में महिला मतदान का प्रतिशत
भारत में महिला मतदान की सहभागिता में पिछले दो दशकों में काफी वृद्धि देखी गई है, लेकिन यह संख्या राज्यों और क्षेत्रों के अनुसार भिन्न हो सकती है। यह वृद्धि भारत में महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के माध्यम से हुई है।
2019 के लोकसभा चुनाव में, भारत में महिलाओं की मतदान की सहभागिता का प्रतिशत 67.4% था, जो कि एक बड़ी और ऐतिहासिक बढ़ोत्रि थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सहभागिता का प्रतिशत 65.63% था।
राज्यों और क्षेत्रों के अनुसार, महिला मतदान की सहभागिता भिन्न रहती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, और राजस्थान जैसे राज्यों में इसकी सहभागिता कम हो सकती है, जबकि केरल, तमिलनाडु, और पंजाब जैसे राज्यों में यह अधिक हो सकती है।
सामाजिक जागरूकता, राजनीतिक उपलब्धियों की अधिक सूचना, महिलाओं के लिए विशेष मतदान केंद्रों का संगठन, और समाजिक और नेतृत्व में महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देने जैसी पहलें, भारत में महिलाओं की मतदान की सहभागिता को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं।
लोकतंत्र में महिलाओं की भूमिका:
लोकतंत्र में महिलाओं की भूमिका ने समाज में वितरित शक्ति का संरक्षण किया है और उन्हें राजनीतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदार बनाया है। महिलाओं की सक्रिय भूमिका लोकतंत्रिक नीतियों और निर्णयों के गुणवत्ता और विश्वसनीयता को बढ़ाती है। भारत में महिलाओं की भूमिका लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं में अद्यतित हो रही है, और उन्हें राजनीतिक पारिस्थितिकियों में सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है।
भारत की प्रभावशाली महिला राजनेता:
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है; वे २००७ से २०१२ तक इस पद पर रहीं हैं।
इंदिरा गांधी: भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री रही। उनकी नेतृत्व में भारत ने आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।
सोनिया गांधी: भारतीय राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में।
सुषमा स्वराज: उन्होंने अपने योगदान से भारतीय राजनीति में महिलाओं की प्रतिष्ठा और शक्ति को मजबूत किया।
ममता बनर्जी: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने महिलाओं के हक की रक्षा की और उनके उत्थान के लिए कई कदम उठाए।
वसुन्धरा राजे सिंधिया भारत के राज्य राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं।
इनके अतिरिक्त और भी कई महत्वपूर्ण महिला राजनेता के चेहरे ऐसे है जिनको भुलाया नहीं जा सकता, जिनके महत्वपूर्ण योगदान का राजनीती में महिलाओं की भूमिका को सशक्त करता है, ये महिला राजनेताओ के कारन ही कई नवयुवतियां इस क्षेत्र में आज आगे बढ़ रही है, तथा समाज एवं लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इन महिला राजनेताओं ने अपने योगदान से समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका योगदान लोकतंत्र के मूल्यों और न्याय के प्रति लोगों की विश्वासनीयता को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। -------------------------------आभार- डॉ.नमिता सोनी (सहायक आचार्य )
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